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________________ ऐकावी श्रावक थयो। मांजी कुर्दिन जायचे जेको ड्युरुषानेच्या हारता लेवो तिरुवै एकट नावी गावकथयो। एक दावन मां है रथकार ने मेरें साइनै हिलल्याच्या रथ का स्नावची आहार बहिरा तवायप्रयोगेनी माल पडी साक्षरथकार हिरणमरी पंचमें देवलोकें पोहता बजियाचना। परिसहस हिवोबलदे रहस्याने घरासमार भोजन या हारनीपनैटिला आहार तथा सुलाने ती मानयमेिला आज कदा लागललागे आहारे दर्शन मानें येदितॐ विभावनी परे २४ म अम्हारे परिसुधा समे सिद्या । तोयणे परितिहिए। लघेलिदेवा | नालुतपिद्य पंडिए उन वा इतिकथाः रनला तो युध अविस्तावताच्या सादिकनुं जिको एवं सभी विचारें अलानपरिसस्ते हनै तर्जेन | ७९ लाज वली सवारेस्पे मनमे न लनामि विलातोस एसिया जो एवं यहि संचि के अलानोतं न त एउ हिटलरुषितः ऐकगाथापति नायंम्वदल जूते |तिबारे प्रध्यानसमे नातवाचारवानी वेला ये एक दोय चोकटावनियले बोलावे लाज तरायकर्धने व सेंसेसारपरिमल क रनेलने पुत्रप वृतस्याश्री नेमीस्वर वासेधर्मसम्नलनि |टेटला कुमार दिकाली भी वे अंतरायकर्मच्या वबारीन गरी | द्वारिकामा हे सकतिनिका की होइनल असीग्रहलि परायेावेदप्रहारों युल तिलब्धें जो सक तो आसर यांतुं तो लेवे इस ग्रहपाल तो धूलोका लगयो । एकदाश्री कलेनेमनाथ कवि स्टारसससा मंदिऊउ तक तपस्वी बैतिग्मनाथें कोताहरैपुत्र टेटला कुमारम हातपतये है श्रीनेमनोक् नीतिवैश्रीरुलमा हाराया क्षरिकान गरिमादाने लत सिद्धायें नम हो । टेटला कुमार कर्ष स्वरदेक्तिये साथी की उत्तरी त्रिएप्र दिलादेश
SR No.650033
Book TitleLokashaha ki Hundi
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages424
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript
File Size200 MB
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