________________
तिकदियें 5
नी आज्ञानाविध कई
५७ वा मिध्यादर्शन
यादिकाघातक
ANN
उत्तराः उडुगईन मरलमिदिरा दियाॐ तिमिबाद सरत्ता मुनियालाॐतिहिंसगा। इ
१२१०
जेमरें पर पांमें तेलीजी ने ली जीवप्राली
एसले वितत्व गुरु तन्वधर्मतत्व हवामाना छक्क लेखा निर्मल रिलाम नाम रेल स्वनिभिदो हिलो सम्यक्क नैनिबेजेता शमीकरण हाम्चो बाध्यवसाय ना भूली
डोमरंति जीवाति सिंह
बोदनसम्म दमस्ता अनिया या सुकले सो गाठ
एक प्रकारे जे हमरे मर गया में तेज जी वने बोध बजजगनाथन उग्ररुदेव रूपमा गादिकानी एना कर जीवली धर्म से दिलवरदो हिलो नई ५९ दर्शन नै दिजैराना रंगेही वै दिन ऊ नगर रेतला. जे तने तिजेशले मध्य | इइ ऊमर तिजी वा मुल जातिसिलदे बोदामास रसा सनियाला कि एहलेस वसायसहित एलें प्रकारेंमरण करे एह करली तेजी ने ग्राम लिनविला बोधबीज जगनाना वनश्रासित अनजगना नाली जीवाला जिनधर्मपाणिं दोहिलं Sa अनुरक्तरानी एगना नजि की करें तें मोगाढा (इइड मरतिजीवा । तेसिं पुण्ऽल्लाबो | ५० वियले अपुरता । जिल जानें कराने एतले ते वचनसह मिध्यापसनिवारी ऊजला लाते हो ससार नाली एसो लय मरण समर मज करा काफर से मोहमत्सर सुवक्लेशन माकालमेंट्ससारमा हिने दामोजाई र दिकवार प्रकारे पा यलेकरं तिसावे ए अमला असं कि लिहा ते ऊंतियुरिन संसारी र बालमरयालि मकानों ताही तासादिक सहकार | एलानेयाना ऊपजावृजिनन्न क्वननजा ले जगनाथना न चन रतो मछली बार करती जि कोई मरे एलो विधेते बाकाव
कमलेगा
रतनारको
करीनजवली ज्ञान नक्कियाना कल जोलीन पुलक वहा
क
जे
बऊसो अकाममरणालिचेन बजे या लिमर देतितेवरया जिलव्य लंडन या ऐति