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________________ उत्तराध्यय नयत्रः १९ एक हीजरादेबरहित जी पीनें बावीस परिसद्वा सहितामदि लाट प्रसंसनीय संयम थवानगर गदयो जिसहित दिष एणीया वसते निगम राजानी गर सहीजिए तेराजनीतिम कारव विवरेंसाक एग एक्चरे नाटे मन्निय यरिसहे। गामेक नगरेवाविनिगं मेवाराय सालिए रनम न करें गांगनेवरि संबंधन कर गृहस्था नलिएकगं रहिं अनिय 1368 चाराला साधें विहारी एदौथ को विनरें ममाणेचारे जिरका नेवॐद्यापरिमन्यसंसत्तो गिरु हि। न्म लिकेनयरिब ९।१९ गृहस्रसंसको अनियत परिव्रजेत् गृहस्व खुसंगल करत विरें होत नागपुरे मस्विवराचाययवादना जोलील नेघा बल पडतेचे लामाहात्मानें विहार करावी (मुरुतेनवे-जागेवेंची नवे उपाश्रये जज आर देता। नवकल्पां विहार करतार ऐतिदवै-आलोयणले वा श्राव्य तो दनशिष्यति पुरु। अनुको यही जग्यारह रुदेवी चिंतगुरु नित्य स्नान वासी प्रमादी इमविमासी गांममानि वारियरु हा आणलेस्ते दत्तमाहात्मा विवहारिया युत्र स्वदेषी मी चोयी साजू को तिरुतु आहार लिसे सांजे गुरे चारित्र नोगुएला देवी रंजिनगरदेवताक परे गुणवंत गुरु वमुदेव पिपलात्री दोषनो अवगुणकोइना लो इमदेवताईक्सौ मान में दिवे नायनेवि कडवे एकसुराणा थवादिककरीहंसादिक नत्रमानवाडे उद्रादिकनें दिरहित कर्मथायें एव चष्टाप्रकर मुख राष्ट्र करी सालिसन्नगारिवारुिषले व एग (प्रकॐर्जनसी इद्यानयवित्तासएपरंवे ༢༠ गुरुनाश्र्वमुपजलावासिष्पबू ऊपो जिमतिलेस्टि वराचा परिस इस योतिम बिजेस हिवेर रातिचर्या परिसार ल
SR No.650033
Book TitleLokashaha ki Hundi
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages424
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript
File Size200 MB
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