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________________ कमन मूलप्रकृति कहा जत्तर ऋतिक देवेंज्ञानाला प्रकार के तान जोलिना समास नाव वयमनिषिकप्रति सहितते अवधि मनाएं कमन ते आवरणसहित प्रतिज्ञानदानावर कार पर्यवज्ञानावरल रामज्ञान विप्रानिषिनोदियां नदनाांत इयं मनाल ज्ञानावरणह तिमऊ लांदेवतेला गाढानिश खेज दिये वे निज्ञनिश तिवारीछ्या अनुनयोगिवेथील चालतो वेला ४ स्त्यानगृद्धिनराने विष कर्म जागति केवल निहात देवयला निहानिहाय्यय जाय तत्तोय् थी एगिनियाँ समुदेवनाथ हिजो एचा दिवसनोचितमकार्यरुपदेषेने दर्शविषेच्या वरण तेच दर्शनावरण केवल दर्शननैर-आवर रात्रिनिमाहिकरे जो इंडियदेवतेव दर्शन प्रावरण दर्शावर केवलनानेशविलग्न सामान्य प्रकारे दासहित तेवभिदर्शनते ह की अहल चमी होइ नाथवा । च वरकउदि समदर्शनावल दरिसले केवले य प्रकारे विकल्प नकार जलगा दर्शनावर बेदनीयकमलबिकारे जेले मुख आवरणे एवं नवविग्यं नायबंद रिसाव र दवियलि संधियविहस सर्व तहबर मादि डा तिमालवेदनीय शरीरमनसुन सातावेदनी बने एक जन ही एली शिकतायादिकन् मातावेदनीयते असातावेदना अनुकंपा दिकाने दिपकारे सातावेदनीछानेद बेनीय कर्मचिने देवेदनीय कर्मनी परे यमसायच च्यादियं। सायस्सर्वे बऊ ते या एमेवामा सायरसची मोहलिक तत्वसुविसुप दर्शननाई विषेविरतिरूप | दर्शनयो हनीय दर्शनने विषेत्रि | चारित्रविमोहनीय बेनेदे ।८ सा साप त्रिनैविषे प्रकारक विददसणे चरखे तथा दसले तिविदंबुतं' चरणेऽविहंसवे Bhoda
SR No.650033
Book TitleLokashaha ki Hundi
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages424
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript
File Size200 MB
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