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________________ वि मायासहितजे मालवा के रक क दोषी लोभी चोरी करें लीयी माया नशे के वे कोई जाए तो जोरों से दि उत्तराय दत्तारियो । सहे अतितरसय रिग्ग हेमिमाया मुसे वह इलोनदोसा तथा विदुरकान विमुच २७५ 83 शनोलोजीजू बोलनिंबी बोल वास्ता वेंकटांना बाजाले जिम से बोजे तिममारको आदतन मनोहर पानापाना करें उतनोपाहारकरंद एन्यले तोको प्रवर्त्ते कच्मने] परलबजे इसे मोसमय घाट पर असतो श्रीकोऽस्वियोन्मन्यामाटते ४७ नोको बटन था इतिथि दिनारहिता ख छूनें जोग वि यान कलिया करते। एवट्ज्ञाणि समायये तो सहे मनोहर राष्ट्नो राजिनमष्यने। दिहां की सुईकांना इकारें पुलकायें तो दाउ दियो ज सास्तस्सन रस्स एवं कोऊ कयाकिंदित होन एपरेंजिन परियारकासमूहनी कवियो को प्रतिशोऽहिताधिस्स पिलेशन बजार पतिनहीजानें जेवरक तांबरानो काला करेगें आयाने कष्ट रमेव सहमियम वेडरको लोगेदिक लेस 5 रकं । निचत्र (जस्स कएल करके परंपरा क ठोकरी मदत्त चित्रकरण होजेकमतहवें बल ः रक्तो कारण दिया की ४८ मनो हरने व निरक्त रागर दिल लि | तिवारे दिलाइक कमला नविन काल में विलोकयर मनुष्यकरहित छको परंपरा की 455 वित्तोय दिलाइक में (जैसे युवा हो ६६ देवि वागे दास हे रिस्तो प्रवि । यानी समूहनी नली पाहूनबरमा इसारादि परीक्षाको तयारी नेपारसमल परंपराश्रेतिले करीनें - की पु सोगों (एएएडरको रुपरंपरेला नलिय्यम सचिव संतो (जजे वायुरकरिणी मला संध ७५
SR No.650033
Book TitleLokashaha ki Hundi
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages424
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript
File Size200 MB
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