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________________ ०:२५४ मेरु पर्वत तेनीरें लिए हो १९ सैलेमीकरण गारसाक आरजे के बजीसंबंधीयाकर्मवादिनीयर ऐसी नाव कपारजैनिश्तर हैं। आ नामकर्म कर्म ते वै निरजस्व मेंगुएाताऐं। उत्तराध्य सिलेसी ज्ञाय विदुर से लेसिसात्यमिवृन्नेय अलगारेचज्ञारि के वलिक से खवेश तिहार बम धुलाकत वनोजां कर्मथक कषायश्विन्द | सर्वडर वापते की ११ विषयनेंविधं प्रज्ञताकान नियंत्र बयानी सी है या काशीलाई करें रात्रंदियनोनीत यासिस बुझरिनिनाई (मरका करेसोई दिय निगा हेलते | अ यिनिय हरी श्रोत्रे दियकाननेनिय करी मनीना लामो पाया राष्ट्नै विराग द्वे मनोनिग्रह। एनले उपरर जगन जीवसुं 7.निवार पार जेनेर निजरूपतेन बांधे गनमा उ वे किंजल युती सोई दिय निगा हे प्रण नामक ने सुसहे मुराग दोसनिगालपइयं रहेनन योग ५२ रूप की इंडियनेनि है जग बन्जीव स्पर ||8| लेडियन जीव योनिरिया 43 कम्मनबंध निबंनिरेच कुंद्रिय निगा हेलं ते जीवे किं जलयति । घालि मि जग जीव ४ रमनाजी पवेंकरी १५ स्पर्शनं ६ को श्रीसने विजय जीप वेंग बनजीवस्य उपार्जको भ स्पंजयारजे जगवुन जीवस्तुपा यनैनिश् हें बेनी एक मनोदजा धिनोपि मोहनी तीनद जालि दिये एवं वेद (५४ जिझिं दिएवं एक सिंदिए विदाको रुवि एसोसते जीवेकि डायति कोमनेंउदय वेदयितेत्रो भवेदनीयकर्मन पूर्वक करीब दो मोडवेने ८ इममनि १५४ ] इपसर्वकषायुजाशिद | तेनोबल पायें निर्जरंष पि को विकएणं खं तिङ एयरको हवियलिज कम्मन बेधडू (पुन ब६चनिकरेइ ५७ म मानजी
SR No.650033
Book TitleLokashaha ki Hundi
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages424
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript
File Size200 MB
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