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________________ छ्नयनो कणहारउयसर्गज्ञ६६१ज्ञानेंनिमेंउदय देवता संबंधी यादिक मनुष्य सं सं हिस्यामुक्षादिक (९९ प्रकारसीदा इसे यमथकाशि अरकें सवा आवेल हेजीम उत्तराध्य सिरक तय तेरवातविति सीमा दिवा मथुस्सावातिरिवार पः १२० था श्रव्य जीव जेरुपरीस उयसर्गयरिसद् विकार मातेव सर्व उद्या याद्यातपोल मरिमलप मनुष्य आवार की तो साजिम संग्रामनामाधानैवि में संग्रामादिसमाससाद सानातिना विल बिएफ रिसोर लेगे । सीयेतिज्ञान काय रान रासितयज्ञेन विदिविसगामसी से । इव नागराय । सीत परी सय सांस साहित्रिक मत करोग विनाप्रकारमा रिसरिता थय सम्यक् प्रकारें सतोमा ९६ोधको || सारास रिसनोवरस | देख्ने वानी कौतियासतो रजकर्मयाद तो थ्यो ते कम के हवा सीने सिलाद समसाय का सायाये का विवि कुसेतिदेदं । ॐ तनहियास | पुरा ईर्वला की कमति । १० बीयरी प्रेमावलीको माधवाश्रम नति चारित्रियो निरंतर सदा काल विचतादिकनैरिति सम्पादिक' रया । इखे विजापुरेकडा या रांगच तव देव दो सोमो देव सिरक ससयं वियरकले मेरु पर्वतावरिप्रिप्रेरु पर्वत वायुरे करने पर सहनें मात्मा को बानीवरि समयकी १९ कायेन हातिमकेयमान निश्रथ को रहें बोस तत्व भयो जाऐं मनन करें दानवनायें माहा मोटोर मेरुवा एणय कंपमाले यरी सदेप्रायमुत्तेस जिका १९ प्रणुन्नएना वल एमन देसी(ना नहावलीनि पूजानें निंदाप्रति ममुड्यासित एवें गुणसहित सरल नाव्यदिवजी सम्यक्कादिकमोनामाथि का २ सय २२८ मादी चारित्र यो सा संग करतोय संगत साथ दरम्पको यात यासा याविषयंग रिहंसे ऊए सिउ ताव पनि वडा संए निद्दालमविरएडवेयर/अर मरतिमसं यम
SR No.650033
Book TitleLokashaha ki Hundi
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages424
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript
File Size200 MB
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