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उत्तराधरसिंहईघरेतस्स | दारएसेस होइस बावत कला या सिखिएनी इको दिए। जो
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लयसंप तेमतुझ्यातनरूयवंत नार्या | पालितपि ब्राालय रिलावेंरूप आसावल घर नवित्रीस्पो तिहां दद्कदे सूटिं लिहवें नामें । काम करें र ते प्रसाद के बताने पुरोदित रमणीक सरुव वयं स पिया प्राये इस विलिं या साए कील एरंमै | देवो दो गं प्रासादमवला आलोनि मारिजतो तानाई करीत मारवानें योग्पते समुद्रया बगेको कोरनी माला कुंजे देवी गोष बेंगे बाहिरका 7. बंधवानें तोरणम वनमंडन सोहाग अहो आश्चर्यमश्रुतजे पापकर्मति
यासश्व निर्माते तेनें विवा आइएबायो मारिनाका,
नतयासिकणसं विग्गे समुहया लो लमबी
हो सुदाल कम्माल निकालेयाव एहनौलावतोथको प्रतियाते प्रासादने गोलनें विष ने आज्ञायमीन माता विशेष आदर तोउंगार संवेगरदियो। २० वरि
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