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________________ 2244 उत्तराधरसिंहईघरेतस्स | दारएसेस होइस बावत कला या सिखिएनी इको दिए। जो J+** : यः १२७ लयसंप तेमतुझ्यातनरूयवंत नार्या | पालितपि ब्राालय रिलावेंरूप आसावल घर नवित्रीस्पो तिहां दद्कदे सूटिं लिहवें नामें । काम करें र ते प्रसाद के बताने पुरोदित रमणीक सरुव वयं स पिया प्राये इस विलिं या साए कील एरंमै | देवो दो गं प्रासादमवला आलोनि मारिजतो तानाई करीत मारवानें योग्पते समुद्रया बगेको कोरनी माला कुंजे देवी गोष बेंगे बाहिरका 7. बंधवानें तोरणम वनमंडन सोहाग अहो आश्चर्यमश्रुतजे पापकर्मति यासश्व निर्माते तेनें विवा आइएबायो मारिनाका, नतयासिकणसं विग्गे समुहया लो लमबी हो सुदाल कम्माल निकालेयाव एहनौलावतोथको प्रतियाते प्रासादने गोलनें विष ने आज्ञायमीन माता विशेष आदर तोउंगार संवेगरदियो। २० वरि बगही हमार सनेवल नेवासा कोलनेर अवता रनि मेरा बुझे मोतहिंगवं परं संवेगमा लज आयुसम्मापियरे । पबलगारि १० ज संगल जनयरिजन वो प्रतिबंध केस मोकायादिकमनीयजेकी दीक्षा नोवर्याय जेमाले मुनिला तो उनी श्रेणिजे थकी लेत्रमा नौ देउ जे तानयनीनो करार विवेगमुयानमसदरेवरस चार हिउमंगथमा किले से ( मस्त मोहक सिलसयाल गं परियायधम्मं व्यत्तिरोई । वया क तरी ले (सरुवेपियदसले | होयजी '//' एतला अनंतर अनेरवसर विकिवरेंद्र क गोजअन्न या कयो (या साया लोटा लहिन तेहचोरने देवीने संवेग वेरम्प समुड्याल एरुनो कहितो यो १२७
SR No.650033
Book TitleLokashaha ki Hundi
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages424
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript
File Size200 MB
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