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________________ प्रोति विद्याश्रवरे | | | तेद्रियाचे हवयाटा ज्ञान सेोऽसीलो सदादोषी स्वातविवर्या मंत्रत्वादिमुपात सलग जति तिर्यच जोनि तंमिकाले ४५ ततम्मे लेवर्ड से असीले सया @विय्यरयास वेइ सिक्षावश्नर गतिरि चारित्रविभ्यत्र सारुययाति | सद् / सव्यक्तिदेसिकं तदन्यं || नति | नथाहि खुले મદુ खजोलि | मोल बिरा हिसारुवे शिस्विसर्वनवति ४७ नमः प्रातहि ऐति आमी याऽरात्माऽराचारसंज्ञास्य विश्वागवेन दद्यासंयमानेन ४८ नरके देसियकीय गनञ्च इनियागकिंचलेस इत्युच्युतो गतिगनतिकृतेयायं । एछ। प्रग्रविवासन सरकी नविता कहूया नते रिकं ६ बित्ता करे फबिनाप्रम्टेकृतं 1 वेश्वा जेसे करे अय्यथियार या सेनाहरु उपते पहाता वेलदद्यादिलो छल्लर भावले रुदितस्यजेपर्यंत सामामिया प्रविविपर्यासऽरामानां | 1 प्राझेोतिनास्तिपरलोक ध्यान कई तस्स (जे उत्तम गविवद्यासमे इमे विमेन छिपरे विलाए |ऽहऊवि से किस || जोके ] ] तर ] यशछेद | ऊशीत || रूपे | अतिशीलस्मनावमा सिध्यनि इतञ्जलोए मेवा बंदऊसीलरुवे मं विराहित्रु जिवतमाल | ऊररी विनानगर सा सर्वोत्तम संयम पालिला निरर्थक छातां प्रात्रोत ये चारित्राचार गुणान्दितो मानिग्रंथो मित दिमेत 1 कुरुवा नगरसागृ६: सन् मानी लुगिां निर६ सोयावरिया व मेोचरित्रमा यार गुन्निएतत्तरं संयम पालिय
SR No.650033
Book TitleLokashaha ki Hundi
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages424
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript
File Size200 MB
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