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________________ असण्याली। ब्रह्मदेवलोके देवता ऊदा तिहांस सागरोयमनी स्विताली वलिका में विहारीयानें कु उत्तराध्ययलेंसुदर्शननामे कुमार ऊनौति माहावीरने यासै दिशा ले चरित्रपाली के वलयामा मोदेवता । इति नपः खेट रिसादिदो उत्तथको वालेकुम एक तर वाहय ५२ सेनिसिमन तब तेजी यदि दृढता करवा ५ अत्यंत अतिनिदानकर्म दिनी कुमतिविवपिल साइमनवाल दिनादिसंब कहिरहे ऊउम्म चिरे॥एविसेसमादाय सुदढ परामचेत नियालेखमा विवरें:प्रविन एसाची मादी दोन ए अंगी कार का लालाजी संसारसमुऽतिरखें, तस्त्राहि छला तिरे मानाजी का जन - વિગઉન્નતિ મલિયાર અને समिना सियावतरं तरिंएंगे तरस्से तिला गया। अक ६ हे ऊहिं। अज्ञालयरि सिकरें। वर्तनद्रव्यकनादिनाव सिद्वियाकर्मरकाटको मधले राम्रनवगोः । स्वीस दें सर्व de विव: y निर्मल क्रियावादी आदिकि व्यावसासह संगविमुके (सिदे स्वईनार एत्ति बेमि५॥ इतिश्रा संयता नाना सालअष्टादशम [C] सुनामानगरों नें के खुंरम्परमणी क तेनगर कानन मोटार नादिना दन तिराजा बलन इवें मायमानखे उद्यान -आराने कलाने तिक doda समाप्तधा ९८ ॥ अथ मृगापुत्र ध्ययनं । सुग्रीवेनयरे रस्मै । काल चासो दिए ग्याबलिसदित्ति तेष्ट एवेंजहि जा ऐ लीने पुत्र बज सिर! मृणापुत्र एवं नामविश्व | मातापितानें अत्यंत ऊमर पाटे घालु तेयुर बापट ऐली वामानातानां दी प्रसि६ जोक मे रा हामी सास में तेसिंयुतबल सि|| मियापत्तीवेए। मावि कीमत करें स्त्रीया निमदो मंदिक देवजी परे नित्सदा बोगदे घुगात्र जेनौ रणक्षरतेदिकसायें नंदाल से उपासाए। कील एसस्ऽविदि देवोऽगद्चैव नियमाल से अमरियल। घर फ् प्रार मिया तस्स माहिमा नंदन कुलवंतरि दईए । जुवरायादमी स प्रचंड कोतादिकमसि अनेककेतनादिक खेर
SR No.650033
Book TitleLokashaha ki Hundi
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages424
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript
File Size200 MB
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