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केलिरे | यो कार करतोयुस्ते अरेव्हरं बाहिर को रबैौ। ६ चाही नौक्वन सांजली युगबाऊ जेतूले बाहिर निकल्प। एतले राजाई कार्याकार्यकालविचारे ते लोकापवाद अली पर लोक बोलील बडगेयुग बा
यलगारे कुमस्तक विल गोर लो। तुमका इंय तिसें मदनरेषाई एकार का है। राजाईक सौ प्राहरा हाथ की वरा में बड़गड राजानमर्माहि पुस्तौ । माहिरी एमलिरथ नौ चारित्र जोला युगलानो पुत्र यसाते त्र्यागलिवृत्तं कले। चंड्या वैद्यतेचा उपाय धुणा रेपिल धनथाये। एवै मदनरेषा कं निलागी (मधुर स्वरें निर्जरावें हामी ऊपर मैत्री नाव मोजके ऊपर हे षम करज्ये ध्या रसायटिक्जो प्रायो विशेषविषमदशमी कया कमा तंयरो हो सर्व कारण बीजोसच पिटिवजें सम्पक्त अंगीकार करों अवारपा मरे। स्वजनादिकसंजोग सम विप्रप्रगल करें।सुन ध्यानमरी पंचम देव लाक स्पतेरुध्यानें मरिचोथी नरकें गये। प्रज्ञाते
चंद्रय
या एकल दिवाणं यूवरा देसुगुले सुया निमित मात्र ते कारण तो उय स्थानक वो सराने अनित्य इसो मदनरे बा सामान्यदेवतातिरात्रे मलि ज्यिं बेसा । हिवे. पुत्रने हलस्यै । इमदमासी उद्यानम में रात्रें कंग्राहारकरी आधीचालिरात्रे साधारत्याख्य रसग्नले ति पंचपरमेष्टिमा मंत्र स्मरे तसमयकगबारी नामोनिमुदिकां परवाल दागी एवैकर्मना वसा जज हस्तियै दिह रिमग्नयोती विमाने बेसारी रिता दरपर्वते
वाईचित माहरो सीलाए माहामटवाई पडी । मध्यानसमय कला दि
तिहव्याघ्रोतकार/स तारुका नीपुत्र प्रसव्य तस्यै सर्मिती प्रसा रत्र कंबल विटीति हो ऐका सिसेब्रेश लिरिविप्रो नवेंगे विद्याधरजायैबैति सतिषेट्यो प्रतिकै रुचा लागी माहेरै जनव
प्रसिव बालकसावज स्पे। ते हलली प्रसन्नथरी मुकने बालक नौ वियोगटा जि (मतिना रूपनाव्या