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________________ आप पनी जानी आऊ मोजा तथा नौ व २८ अवस्वं २९ अन्यती पर दर्शनीय प्रकारेंका तिसर्वप्रकारें क्रियाविनय पलाकरैघ बजे मनुष्य मालुस्संलगमा गए । प्रध्यलोयपरे सिंचाईजालेज हात हा २९नालाई ३ नंदन परिव तीसा मनकारणमा व्यापार वीमा यानी दिया मनसेनि व बुधि की लोकाना प्रश्न पर मनुष्य संघाते मालोचनौक एसइति रथ कि जां जोली श्री वीतराग नाधर्मविष की लाज-न्मूला मुष्टिज्ञानपरदेसी होते स्थानियों के विवरुडे दिया द्यसंजर अण्डाजेयसन्धा | ३२ विद्यम संचरे उपेकेि मामियसिलाल परमं ते दिवाला । विस्मययाविद्यमर जाली पंमितजनतपुनें। तथको बुं दिवसरात्रक विषेविरेंतेतवजद्रु (जिको मोनोबो कालनौ जलें प्रकारेनिर्मल चित्त करीतिको प्रगट करिस जवजाव 我 जिम सर्वज्ञ महोउडिएम हो रायाऽविद्या तवं वरे जंच मे युद्ध सी कालि | सम्म सधे वेइसा ताई पाक दयासहितक्रिया उत्तम क्रियामिध्यात्वादिना ते सर्वकाया समतिदृष्टे तथामति 32 तुष्टान की या बेस वाजवाय म सान्जे ता कसैौति विज्ञान जिन शाशनमा वैदि अप्रतिम है नहीं ज्ञानकरी सहित रिबुद्धे तं नालंजिलसासणे ७२ किरियंचरोय एधीरे च्यकिरियपरियं परिवार दिहिए दिन चारित्रिविविबरें त्रि 33 एवी वक्तिक्रीयाते नोपुल्प (मोफलश्रुतमनिकरी एबोचरतचक्रवर्त्तिनरतद्दन यमं धर्म के नौबे आदरतादो हिलो फूल जिप्रसुबानी मैस विशेष शोभित मानोलीका जी सुन्ने मंचरेक्स 53 मयंपुन्नमयं सुना। अधमेचसोहिये | तरह विला रवसे (विज्ञा लीसा संयति सास्वादतिरनुष्य ती स्वयंकुराई मस्त संपररी नई साधनें कहें तुम्हे मिल पहिली रहदा माथ पृथ्वीनोषणा चमकुर कामाय ३३ ३४स गरे विसागरं तं तरसेवा से निराहियो। इस्स रियं के वली हि । दयाएपरिनिने उप या
SR No.650033
Book TitleLokashaha ki Hundi
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages424
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript
File Size200 MB
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