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तिनिग्धते किम कितेक हो तिवरे माचार्यक निषेधसानेंनि । एगदी कनैटी करतो एहसा 7 पोली उत्तराध्य आहारिता स्वइ । सेनिये थे। तक समितिवेव | आरियाद निगांधरस खलुयलीयांवाल सोयो। यःपुः वे महार करतोजी तो चर्यदेतनें प्रत्यर्यत्रदिवी आहार के स्वास्नीयादि रखो आदर। पते रायपुर दो मन मै मंकाय विक करुं नएस कनी दोना हिंनहीति महारेमा एारस बसयारस्सा बसवेरे सं व्हावा । कखावा विनिगिलावा समुय्यजिद्या ज्ञेयं वा । विनाश को मनें विश्रादवरवसवलोला काल लगी जे रोग छ ज्वरादि आते कलादि केवलश्रुतिस्थकी
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लेसिजा | उमावा या छोटी हकालये व रोगा के विद्या केवलियन्नत्ता मालि
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प्राचार्येक से निसा निश्रुष सामावाद ३२ कवलनिकच
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सिद्या ताहा | खलुनो निगोघे । यलीयं आहार | न्याहारिया । स्वइसे नि येथे नरमाया या २ का अभि को माहारयां ते किम किसे देते इनको निवारेजचार्य कहें विथमा खलुनि कवलले नोकरदारवैविशेयमा लोय ग्रहारिता स्वर्ग से निगांथेतिक रुमितिवेव प्रायरिया ह। निगम स्सरखलु चरम ख पोलीनांला अनादिकारकरतां तच विषे सेका कात्रीयादि आधार पर वे का इकल कोन किले के ना कनी व बा बैकंन हाडसेक
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