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धरतीमा २ मा दे राजानश्वत अधिर अत्यंत कल्पच्पल करता प्रणसभा दिायदे
चरताथका
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ऊच्प्रतिनि रक मोहि । २६ (जीव राय । असासयेतीली येनुपुलाइं कुछ मांगा से तिजीवक करेॐ पूर्ण कर्मयोगधर्म अलक रीनरका दिकने दिवें २२ जिम लोकनेविसिंह तथा व्यामृग मरलने करें मिरलने तेथकेंET सोम ईम दौवली एका कायरंप्री लोए २१ज हे हसी होव प्रियंग हाय मधु मनुष्यतेलेऽज्ञायतेवेलानि | ने तेसने भागनी वरेते नामाता विताने नाइलि प्ररणकालनैश्वास रेंको इसलाईनचा २२ नरंनेॐ अंतस्सकाले नतस्समायावपियावसाया। काले मितंप्रिसिंद्रासवं तीर एमसरना बनादे पाएँ तो मन नहाको मित्र निबेटानलाई खावे एक पोते ऽख का कर्म
वचन काया नावे को स्वजनादिक
नतस्सऽखं विज्ञयंतिना जीनमिवगानयान बंधवा । एक्को सब एक हो 5 र करणारनें केडे कर्मय एयादिजायै २३ / हिवैएक वनावना हैबैइंडियद त्रघर न लवप्रमुख न्यलि र्यादिकपदस्यादि *प्र०वी वस्त्रादिक खितं गिलचस उदारिकमरी र एकलेजी नया बहिनि सारायला था शरीरे महि
व सरीरगंसे (चिर
कत्तारमेवं एक जाई कम्म २७ विचाय्य वउप्पयंच स्वोताना कर्म तेहिजलै नी जेजे ने एहबुंच्अव मनेरेनन के दरदेव लोकेऽथनामा 7 सवस्वसध्धकोजा
२४
नरकादिकें
सकम्मय बीउ प्र रसाययाशं परं सवंसंदरयावगे २४