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________________ देवताकीतिं वसुकवड्यनीक्षरा | वलीदेवीने बजे बजावली-आकाराने दिएव उदघोषलाही ते अहो आपलोदांनदी बताइ 3 पोम्या 7 श्रेणी उत्तराध्यय संदिज्ञातदिवस दाराय बुध यस्याउंडेड सीउ सुरेहिं अगासे अहो दाल-चूघुसखं नयः(७२॥ शङ्कताय आप्रत्यसाक्षातनि नदीमा दिजा तनुं धोका ज‌कारणथकीचंानुबेटोट्रिक जेनीच्या प्रत्यदेवी दसे तय की महिमा विशेष महिमा सीजातबल सा रुदेवता खुदी दास तेरो विसेसेो । नदीस रजाइ विसे सको सो वागते हरिस साऊं । जस्से रिसाइ सााज्यरूपसंपदामोटू ३७ नागमहिमा रादिनि यति हैन कि 4यंते ना समुसिदियांतरंगजेब रा शुकारामजीलाअभिरंजकर यज्ञ कर हम हाँलु लागो ॥ ७ कि प्राहला जो इस मारता उदल सोदि बहियाविमंग्रहा | जंमग्रह मलयज शुत्रांना नातेदी ने कुल ग्लना जाल 36 जातिकाटमेजन संध्याकालप्रजात निर्मल उदक पोलीकरसता बाहिरिये विसो दिन तक दिहं कुशलाचयंतिक संवृज्य तणक मं| सायंचया नक वानरतान कुसानादिक सो बेडीयादिकांप्रमुनीजात नाकालाईज परं जीहि विमुद्दिनें। मुनिनं शिप्रा डिक्सरे विलयांविना परंजपानं मथका करो किमयानंविष येउदयसंतायामाईलिया इविदेयताको विप्रदाय करे या वंसक दे चरेति होयत अमेयनी किमयारु पी कर हां करायेंवेगला तेकऐअमनें संजमव्ं तसा कव्यंतरदेवने । किन लुयज्ञनी मुंदेवाड यज्ञकर अजेले पूजनीक किमरुडीजज्ञ स्वयंजयामो यावाईक माड्युलो लामो | अखाहिये संजय जखश्या कहेंजिकस
SR No.650033
Book TitleLokashaha ki Hundi
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages424
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript
File Size200 MB
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