SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 132
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ /// रतलाानंतरप्रागतिकहियें | प्रवर्तस्थऊंसाहयती / / अवनीतक दीयते यद्रायें तेववस्वानकनंदिब उत्तराध्य तिबुधराम चन द सेवाले सिंव्ह मा ले दिसंजए | अविली बुच्च सो निद्याच नग यनयः ९५ २२ प्रकारको त || घणकाललगीरीसरायें | मित्रारवेयाक्वकीनजायें अथवा विकथा कर तमिांतल निजलीने / ७ / प्रकार करे ਤਰਕਸ सिरकको व बंधूचऊ क बोल किसुन करें बोलो जातिव उतंतर मितिमा यल घृणाgis प्रथिना वनायें कि लहानें मित्रनली को करें कम ने एनपि वा सुजेमिन्नते पिलाय दोष बो या बुरुं बोलेंनिंद | दिनाले मिटं बोल शिकार करैनिंदा सुमतिय लाता देवी कोवकर विद्यापरिखेदो प्रविभित्ते सऊथ्य (रूपिम साविमित्तस्सा रहेसास यावगानव मनस्प्रतिज्ञादा पस्तुकारीला ग्रासरथोमी श्रात्मा ने वोर्थसंवादि (९८६खंडते अविनीतक दाये।</९ त दिविलम्बमन नवाई अहिले थछे तुद्दे अधिगि संदिनागीन्यवियते । यविषयतिधमहि नरेस्वान के सुबनीत कायें | नीचे आसबेसेडर मामी गुरुनै बेचैन नाज प्रत्यना शिष्य कार्यथिर है हमार नवापुरखनजो १० वकवाकि यन्नरसहिं वाले हिंसविली एति कुदर्शनीयावती-अचवले । अमाईन्य कन्तु हलेर पिं कनक्वनन/ मुलाकाललोरीस नए बीजो को आपको काम करतो ते श्रुतसिंत लंदन करें। बोलेंपापकर्मकरीनें किलही प्रतिबंधनकरे नेणारकरें ७ नमन करें रिचार्यादिकना दोष चादिखिन (पबेचन ऊँच ((मित्तिमा लय मल छू नमन ययावपरि जानें 11 मोहू तेनयानेंच कारणह लोकें ज्ञानादिकनल SHT
SR No.650033
Book TitleLokashaha ki Hundi
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages424
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript
File Size200 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy