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________________ ॥१८॥ • श्रर्थपदनों पर १८] परुव गया एयाएर संग रस्म अप परुव - संग्रहन/साथ पदनिपरुपण संभोगा कि किनबु की कीनर न - एणीये से.संग्रहन नमत किं-किं.स्पुप-एएगी प्रयोजन या एकिं पायाय एयाए स. अर्थ की को (सं संग्रहन बन एतं ते मत संगरस्म फ्यपरूवणयाए भंग समुक्किनयाकीर इस कितं संगहस्स - भोगानुत्री कीर्तन - बा०यापुपुवी / सव-मनानुपूर्व सन्तश्य-श्रवश ए अंगसमुक्कि भरण्याए२ मूतिप्रापुवी १णापुपुवार भूमि श्रथवाहनांटिक संयोग या चन्वर/ सन् श्रनापुपूवीश/ स.प्रथमा - वह श्री - श्रानुपूवी भूक हड़ बर श्राश्रानुपूर एवा मित्रापुपुवीय पुत्रीय भूवातिषपु ॥३८॥
SR No.650032
Book TitleAnuyogadwara Sutra
Original Sutra AuthorAryarakshit
Author
PublisherSujalpur
Publication Year1851
Total Pages412
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_anuyogdwar
File Size168 MB
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