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________________ वा सावकार ने तेहनगमगन से सनसनयुस तकिारण नेगम यवहारल/ शयनापानिध) ना १.परूपालानयनेमत नभतरको नशतायुसारविहापन्नता जहानिगमवहासंगहस्मयाकिताएगमाक्वहाराणा (ट्रावानु पाचप्रकारे पापहरूमानत तसा अर्थस एकभंगसमुकीतना) तब पुरणा चहियादवाणपुछी पंचविहानतातंजहाअश्पयपहरणयाभंगसमुवितण ध-भागानठाईवाडीह थानुपादिकट्रय पाच रस्सनर से अर्थ निनीगम भवठारन अशिपरलीपर अपने कोठिय उभारभावालसामा न्यानतेत्रनगम रगत ते पनमत मोलियर करत याभोगावंदसणया सामायाणुगमम्मतिनिगमस्वाहागण अपय व ति-त्रिणीप्रदेसी/अात्रिणिधारसीच पारप्रादशी) माजावर या उधतेहान-उधारगुश्ती त्यायुधस्नीयानु पूर्वाकहीर- धातहनी रियणाया तिपसिए प्रास्यपुछीए उपाणसए अपवीजावरसपातिएमा नठस्वस्थानपररकानाथारधनुकूलपाको तसअप्सया विकठीण Mainaliticiaryorg
SR No.650032
Book TitleAnuyogadwara Sutra
Original Sutra AuthorAryarakshit
Author
PublisherSujalpur
Publication Year1851
Total Pages412
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_anuyogdwar
File Size168 MB
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