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पामीरातलई. (नो. नाश्रागम) (ला-भाव सुते सुत- एस. अर्थते-ते.) त.तेषेधना. एसए यकी ) (स्कंध कतीय लाभावबंध) ) २१गे संबंधाक्रिया सत
रक्षा काय
सुनतिलसततं नो आगमउ भाव रखा बसेतंभावरोध तम्मण मे एग ना. नामाध पर्यायन- दोहा मध्यादिगव नौकायाणिनिका याता या दिवशषजीव १ का शिवकालीका राना
रवाना -मारवा
राजिम नगर
मउर
नहर बार एरिया एगारगाधे। सावंगा नामाधद्या भवति गुणकार्य का निय खवित तथा राशीतिधा उधानादिविनाशी सतीर्थन विषयास पुरादि, जिन निशिधोना श्रासी (मान गायनु नारि कुत्री पुन रग से नीपारी/दिकइटी इमनिष्य जाति मानेर बोकनलोकनास ध श्रकुलानपारा राम ६ ए १ स्ता पशिनेक रुनी परि कुल १२ नगरवधवा तर रासिय पुजय पिंड गिर संघारसमाहास मनापुर व या श्रीनमकता . (इ.पत्र अर्थनाश्रादेकार भूतं ते करवई मासारयामाशरन इस तीर्थ करना सामना योग्गवचन नरवानाम याकार- ज्ञानदर्शना बीरउधि ऊत्सयत्समे बीहिगावात तं जहासाद्य जाग
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