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________________ २०१ वश्रयाकर थी उपरिद्रय-द्रखकर का-याचरनशब तन्तेहनसा सामायकला हा अननरम भाभाड क्ररतीयई जिसमम मुश्शनि-वश्वाहवं नथीतिमसघाजीवनिपचारबुन शिवारसुय सस्ससामाश्याहार एकिवलिभासियं जहममापियंदर जा-जाणीनेय-समस-सर्वस मतव नहरा भतणावरमा अनमोदनहरीसर्वजीवनविषान-नयी-नयी 'त्रात्मासमतुलपवीतभरणीमातेसमाहिकोईजीव नीरनेपरणटुपटान नही त मणकही चायोग्यनही कंजाणियामुवस सत्ताएंनहारनहरणवरयसमऋतिसासमाए निद-सर्वद्रव्यानविवरसमभावप्रकार दयामरएरवारपि.वाहलाबशजरसर्वमशनिरपिंप्रायकरवायोग्यसासवेनावनाएसमनरकारनेहा-हायरस-समुमनानएरनुपक्षशसाधली. विवरसएससुमन परिणामथकी गुणकरी समभनयप्ता-ए । नबिप्तिाकावासापिउयसासाचवदावएएगाहारसमाया भउतराया विप्रवास्पापपर्यावार्थ: उ-सर्पसरीकपारकाकीधारनियमक परमही पावसासाबार-तरुयसरीया पसुपनि विकास निपरेसर्वत्र हएल्वोसमणहोये उपाश्ररायासविगि-प्रारजन्यूगिसरीवात्रशानीपर गंभीरमरमाउसररक्षभारतमानकेनरालबनपसा तिरुवो नीपरीपरीसा-उपस विनिबालतमसाइहाध्यघिनलीन मुजारात थारायाणीविषदाधुनमनिख पोख कर्मशीनरी 'अमि-म्गसभापति भारतात शास्त्र भगवाना रजलासागरणभतरतरगण्सामाया संसारनाभयादा ग्रपणार तिता २०
SR No.650032
Book TitleAnuyogadwara Sutra
Original Sutra AuthorAryarakshit
Author
PublisherSujalpur
Publication Year1851
Total Pages412
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_anuyogdwar
File Size168 MB
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