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________________ उत कउ जावत जावेगेन) उ---असंख्यात मान नपामेतिटोलगउउतषु भूयात असे व्याव जावाक्कामयं प्रसंखिद्याविनयाको साखास किं· केन यूरो ज-जघन्यते हनो जनधन - अध्यान संपात ममाननी जेराज्ञाहनो प्र.पान पू- धूर्वनी परेश्यो माटोमा हरन· जघन संध्यानमा घरासीनी घन्प विद्ययं कितियाहार जहन्नयं संवद्या से खिद्य जहन्नप्रख 7. उलट संध्या संपात हो होई - माहोमा सास कॅरीये रेग कारकरी पावरुनमार थी एकर पर उकी जात साखरामत्ता एरासी एांगून्नमन्न सासार बाणा उद्घोसयं मूसाखद्या सं ज· जधन्यप-परिलनंतरुः एक पडक.उत संख्यात श्रसंखानु हो ज जघन् श्रीयशतिवार याहारगृहात भयं परिता नियं रुचाएगा उद्घोस असं स्वद्या प्रभूथवा
SR No.650032
Book TitleAnuyogadwara Sutra
Original Sutra AuthorAryarakshit
Author
PublisherSujalpur
Publication Year1851
Total Pages412
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_anuyogdwar
File Size168 MB
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