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जावत जावेगेन) उ---असंख्यात मान नपामेतिटोलगउउतषु भूयात असे व्याव जावाक्कामयं प्रसंखिद्याविनयाको साखास किं· केन यूरो ज-जघन्यते हनो जनधन - अध्यान संपात ममाननी जेराज्ञाहनो प्र.पान पू- धूर्वनी परेश्यो माटोमा हरन· जघन
संध्यानमा घरासीनी
घन्प
विद्ययं कितियाहार जहन्नयं संवद्या से खिद्य जहन्नप्रख 7. उलट संध्या संपात हो होई
- माहोमा सास कॅरीये रेग कारकरी पावरुनमार थी एकर पर उकी जात
साखरामत्ता एरासी एांगून्नमन्न सासार बाणा उद्घोसयं मूसाखद्या सं ज· जधन्यप-परिलनंतरुः एक पडक.उत
संख्यात श्रसंखानु हो ज जघन्
श्रीयशतिवार
याहारगृहात भयं परिता नियं रुचाएगा उद्घोस असं स्वद्या
प्रभूथवा