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एका वा कानासमाचरजतवानघन्य प्रमं एवं तिसरी मध्यमयुक्त व्यानावा स्थानक राई आता निविसेसर सदनादापाल
सारखे घयाहार प्रालियाविशतियाचे बत्तेरापरं जहन्नमएका साटा
देवनावर शिषेपू
जा. जाव - उत्तऋषु (युक्त संख्यानु
उ. उसक बुभु युक्त असंष्पातु किं कोत खुदाई
नाव उक्कास जुतासारख धर्य न्याह उद्योसंयं तु वासाखयं
जघन्यता घाई
अप्रमेयानाना-शतिकाने समय सीमा रु एकरूप जघन्पयुक्त पाता राशीत जरा पूरी भा जेलशी काही यह
रामपूबैंकि
तिहार जहन्न एण जुत्तासंाखए प्रावलिया पुगीय अन्न मन्ना धरान जन्मातुं वेनेमावी
उ. उत एउ
संभ्रमवालु हाम
रु गाउको सर्वजुना संवारे हा ग्रहा जहन्न यंत्र वद्या सं
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