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________________ (ना.उउउज्ञानाधम्र्म कांग जिहाँ १९ अध्यायन उ: सालम उउपाोकदार उन्नायन्य-उस्को डिधर्म कथाई सांगजिहादशाना नग उदशांग प्रधान न विचार चालो माध संसारक चार दिवाल पन्त ५॥ ना या धर्मका उही श्वास सा उनकी धूउते ननुतिति सम्प्रेश्माकर एवं स्वामी या स्वर्गज अनुत्सवमा रुपनातिश वर्गन निशिकार हो मोचंग जा गड ९ अंगार विचमा भगवती नारावाजमा बत्तीस जारत्रश्र पाचमेवर द्वारएम१. नवाद अध्ययन व इशार सिउदित चश जाननरागसते गडदमाउ वायदा अंगाराचा गर३||१० सोलो | नाता-श्री गम) सभावस्य स अथ जातं ते कोता अध्यखतरखत्रिकीया चागये ११ दघिउसालागुरियाना प्रागमभावस जा-नाग्रागम (लाभाव (स.तेाव) (त. ते भावना रा-एक ना.सुदार. बा अरी शादि ६. एप्रत्यक्ष अर्थ सूत्र सतं नागमभाव सुतं भयं तस्मग्मगरिया नाला
SR No.650032
Book TitleAnuyogadwara Sutra
Original Sutra AuthorAryarakshit
Author
PublisherSujalpur
Publication Year1851
Total Pages412
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_anuyogdwar
File Size168 MB
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