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________________ उचाविश्वावननिरवियर नि-नीपनुवार) स. ध्यानास सर्वशध्याना प्रमुभबकुना दिन जल छीनी पनीरम. ए.हमेदनी कु. कुपु एभिसारां प्रतई वरसनीहरादू ग्रहणे उत्तणाई वैरणानिष्यन्न सङ्घ सरसरामपुन्ना कुडसररणा हीट ट्· ड्रहम-नाम र सामाः पा-देखीनशक्तते तते सा बोल दिया दृष्टिविनिभाएँ लग्रहण ज. जिममुघली हरसरात प्रतित का त्यतयोरण एचटीस होड लश्करी हसरा नलाग्गा निपासितातिसाहिघरं जहासु बुटी प्रसिसितंतीय काल यस ग्रथकिं काशा वनमा नस्पस्ट गम्यं मा. साधुगो-गोचर ने काग गए उहुन पर नाबीदीत 9 परतुर धरणा पतं ते १. वर्तमान का लगू हाए उकाल ग्रहणं सिकिं तंपडुय्यन्तु कालग्रहणं साहूागायत रंगूयं विवदियप उरभ भान पाणी पादेवीन. ते इतेमा-नुमा जिम-सम्मेस वर्त बेप. प्रत्थन का का लहस न होने पाए) हिं. कोणतं तो निशी जई तल मणिभिक्षा प्रचुमालले आणि सताए नय्याणं पासिता तरणंसाहिद्यानामुभिस्वं वह सितंपपन्नास ग्रह १६७
SR No.650032
Book TitleAnuyogadwara Sutra
Original Sutra AuthorAryarakshit
Author
PublisherSujalpur
Publication Year1851
Total Pages412
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_anuyogdwar
File Size168 MB
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