SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 321
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १५९ लगाने वैक्रिय ससरिरवं पराग-रेगा · बेकार - १ नं. ते देखा बाई स्पाइ कहर बर बाध् दम मुझे, मेलेशन व ति) जात ब. रहिएक अगर हमका ले उडियसरी पेलता गायमा बिहानमा जायमुकल्या नाह न ते पाता.स. समरसमर प्रता संख्याताका काले १-१ हरी यह ना- के ऐप स्थान थी। या संघासमए२. अचडीमा २ साधू का लिहीतानाचव - मनुष्प भे. हे भगवंत के- केत वाश श्राहारक सरीर पं- परुप्या उ. ऊदार नामुकिक · मुकिल राज. तिमउ. अ. ककहरा के विमनं ताजा रा चहिया मुछिस्त्रया जहा उहिया उरालियागंमात्र या भातावर या आहार यसरीरा पंन्न वा. हेगो दुबेका पं-पर नं- नेकर लग० हारक शारीर त तिही कारी कशारीए ब.बहिलका हार कशरीर मुक्ति जेते बाबहिलग-प्राप्त- ते मिळे - बसिकि बोरे ब्रेन गरे नीजजो गायमा दुविरा पेन्न वातं महाबाद्वध्याय तखां जातां सिय मिलियन धिन छाबिनह For Private & Personal Use Only
SR No.650032
Book TitleAnuyogadwara Sutra
Original Sutra AuthorAryarakshit
Author
PublisherSujalpur
Publication Year1851
Total Pages412
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_anuyogdwar
File Size168 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy