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विभक्तिततेहनिं वस्तु वागयानी होरे-बस-हास वस्तुमा वस्तु एरवी सा-स्वामिसंबंधिनविधिरीविभतिमान गृह तिकिटे व तो रुनागदेव नाबाि च खातथा ती वां ५ बहुतत्सम स्वाय गत्सवा तर देवता तथा नागन पर नारकी व पाटन यादि के बकासुतादिक तापासादिकाना साधा मामन इ रिषभामेस्वरसनर चारादिकर धरताना बेनर विषे को वस्तुत्यादिभावन १६ ए सानमविभक्ति जाणवी तथा समादिक नादेषपविवज्या
इति वाचमी प्रथा रा
सामिसबाध ६ पुसत्तमीमंत आहार का भाग्य •प्रावरण से बोधन करिते डीईसा करीति होभा इमीविभक्तिमान पुरुषले देवदे सहेडबरन इंद्र मुनीश घा तथा श्रीमती मावि गातमादि कश्रमनि थरंगा मंत्र देनारोबा मानदेय बरगान या उदरा प्रधानधार राति रमारमन नि दर एश्रा
णिति
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७. अमिताभावाद्मीय जहाजू हमने कि कौन - नवत्र कारेला.न.नवक के व्यतिरिय ने तकर र विराजिंगुहार - सर्व रसना श्रृंगार रसमोनि रंजोधा ने रमते का गरम गान रस ते शृंगार वीररस मास किंत नवनाम नवकरसा पन्नतानं जहा बारा १ ग्सगार
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