SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 132
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ उ. उरम- खग्राठक्रम रब-ईट्रिपचपान्या पा· जीव परीणामी, स.पोजमा हिउरसा से अर्थ पु. भरवानु काय क्षयोप- सभी तब उपसभाप वस्ति पातिभाव तरावी उति भावभावर सामराउसमिए४ पारिणामिए ५ सन्निवार सा राम. अथकिं । १.१ बानुरवी २) सं. संनिपाती भाजा. जावतू उउच्च मिते प.पढाए पूर्वार यिकभावी १ विद बुद्धी सकिंनं १ बासी र सन्नी बाई गाव उदाए उस पाए पूछा एते पृश्वी प्रथम एस. अशवि ए.एच.एक-एक उत्त काधारन इतिहासमुदायोगकोणते ते पामिनेम - श्रेणितम मांगी अब महामतिमाभ्यास करिए एनवानानंतर विति गुरणा २० घानतरण की जे तिवार७२. घानम्। १६५४३२रूप का ही एमिष्ठा७ । १८६१ सालकहर रामकिशोर या एचएाट्या एग तरिया ए बगूबा तरुपमा उरानीवनादेषा र इम पर पीए अगली पनि करेलाको नेचालवावा. २. घारति रार इतिमध्ये प्रथमपते वर्वाना एकरूपतेचा पूर थे ने नामजी गत साना कि जो बगर की राह से पर्व २८ रूपते अनानुपूर्याएमा वा पूर्वापासरी जानका पादिक पर्यान इमलर बेल वा परिव (मते)) रातभरणीना सीए अन्न मन्त्रझम रुपा सत भागमा
SR No.650032
Book TitleAnuyogadwara Sutra
Original Sutra AuthorAryarakshit
Author
PublisherSujalpur
Publication Year1851
Total Pages412
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_anuyogdwar
File Size168 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy