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पू
- श्री नामदनार
निगम अवर
सरि (६) कवि वर्ग युग्माए (याणि परिश्रानुपूर्वादि परतयन मन हो नुपूर्वानी पर) कनी पर इइमन डी
चाई पडुञ्ज नियमा सञ्चाला राधा एवं दान्ति विएवं फुस गरिए गमव साश्राणपूर्वा (द. द्रव्यका काल) को के नवा काल नु होई) ए.एकद्र अपमा ज.जघ की सोरी न्य महाराणं प्रापुच्छि दाई को लडाक व बराहातिएगंदे फुच्चजहान्त नितिनसमा उनका स·त्रसंध्याता कानून साधरण द्रव्य पचासरी स. सहार होइ सारब कालेना पाद बाई १३ म अ-श्रृणापूर्वा) उ.द्रव्य ५:१३२ए. एक ट्रेव्य१ / श्रासरी अजधू-पय
हराए पुच्ची दबाएं पृच्छा एगदां पशुचे जहन्न
तिन्ति समया अक्कासि
-नि व्यवहार 2 राम नयन इम
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