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- रा.प्रदेशखाका (ङ- प्रदेशाकाशनविष सन विषय वा बगायत जावत
रवी मते किं कोणाहीयातेम
ही प्राणपुत्री सर्कितं पुछा पुडी एगपएसोगा
पसागाट जा
- 29 संख्याता प्रदेश व गाती राहयामधील स.कि १-१ बार प्रजाकारी से क्याना चंद्रमसे यात प्रदेशी कहीं यह तें पूरबी) प्रदेश नइति सा श्रवगा (माजे हम
कारण
वसोवा पर सागा तद्वा पुपुवी/सकिं तेषामुपुत्री २ (पु. पचातुर स·तक कोरा अना रवी शर्वा
जीवत् ए- एक श्री का सना एक प्रदशन विषर बगा सात द्रव्यास-त
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