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लमज० जोवदाई में जीतऋचीवर सिंदलो हो लालू की नगनसागर कहिएमा माटोलमा होला आपली दो नारिघईमद्यचा लमहीलाल घई० 9 सर्व गाथा १२ हा प्रीतम खादी लगी। जीत • जाए चालिसन से दराज से दरी जनकरजेविनाश शढाल होतवाल ( साजना प्रदेशी वसप्राजमिलिने सलादेव गोविक जगे रे प्रीतम दिनांचमि प्रारे सिबहिनन मोरे अवसरी चाली गतिदराघी काढीचा केते एक दिन किरतारने के मत के नमो म दिरारहित में जिहारि २ पीवान देत चेपदमणी मंदिवानोर समात गीतवाल कनदेवतो धीनानाशमदिरापा जैमानिनी आहारी जई में साद्वारा जनने वही जानका मिणिका करू काविनीता। वारुण। घन सलामतवा लीनगन फिर नारीब चीवर नी चरखा टालबाि कुणाल एक हसे देवता तीरे कृष्ण नाच में सुई रुपदो म शेलवाला असर शिला एक केशि
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