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________________ प सीलनीरात विषय विषयना ॥ २ जिमम गवाधिए निमिलिचरे मोरी निमलीचे नागरे दिसली निर्मलीनेचम्कलो है। लाल तिमदी नि साधने रे || काव्यशनिक गरे नि विद्यारला बीशील पनीरे हमारीदेत्तरे दयामक १ मारिमाननी हो जाला अबला नामरावती । सीदीघबलचेदिदियो २॥ या जनहिते कविवर विपरीत मोरनीमा लयतारे सोहिली बि सुपिसी सरे विश्यण कराइव सिसीह के सराहो लाल ऐगि दौहिली त्रियरारुसर जीएवाविसवादी सरे विश्य विषय नाश्च चेचल होविक सील गरे। धनश्वतारिए धीरे विषय क्रमश्म रमनी को नाला रेगपतंगी नारिरे मा निमा रंगमजीवरे वि विषय नाप १४ पोरसायरन पामीरे जेदपारावाररे विषय प एत्रीयपतिविकारथी होला नारीचरीत जऊप नाश नलहिक त कमारले विषयण दि पवनाश्याने ह नारीनने कारिमनरे जिमका यरनु सर विषयमा सुईम मोही उहीलाल न्यानहिबती दाल मरि दिइगुरसानाविषया विषयाना० १६ सर्व गाघा १०० शहाश्रागगुमी सीम गुनी हवामान तेहा नाटकी स wbou
SR No.650031
Book TitleAashadbhuti Sutra
Original Sutra AuthorGyansagar
Author
PublisherAhmedabad
Publication Year1856
Total Pages24
LanguageHindi
ClassificationManuscript
File Size11 MB
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