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________________ | माला मालाकुलनामालाई मउली • मश्ति के मुकट उपरि फुलनामाला विविभ्रमाला मला। कल्ला रागवश्च परि दिया। कहना गरम हवा पालवधरा । नासुराबा दीप लंब शाधरा। नामशबादीपले बम एव मालधरा शिवगंगा फसिरंग दिव मघा दाणा दिबाएक ईए दिखा पाया। [दिखाए चपदाएं दिखाए लस दस दिसावयवमागावला मामला मि गरावासमत सदस्सा सा सारंगसामा (यसादस्मा) दिसागसाग परिसायो सागसाती याएं सारंगसाएं आणि यादिवताएं सादस्त सिंचनझएं। घोरातराण मित्रसम दत्तात्रयाणाईसरामा बच्चे का एमाणापाले माशामया लताल डडयो वाइथ राव।। दिनालाग लागाइनमाणाविहरति कहिांलांत) पिसायागादिवा [नाशात्रा के दिशतिशत पिसाया दिया परिवस तिगा। इम) सरयाण। साप झुटवीयर सदस्त बादल सावरिंगाकाय ॥ सय उगादिवाह ४३ यादवयादवीय यररकादव।। ॥वद्यासा गीय वाइयतेतीत
SR No.650030
Book TitlePannavana Sutra
Original Sutra AuthorShyamacharya
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages558
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_pragyapana
File Size250 MB
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