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________________ पयालसु• याताल कलसा सर्व जवनस्तान कर सवन पडे. सवननापास 131020 नरक कार्लरुप निरपडे नर कावा साप्रावला दिन कावासानि नरक भूमिरूपा उ लोक टिकार्बनटाका साना से मेलपर्वतास बरावना सिहरा सु० सिबर सहितयतनामा रमे सारे लगारेक पचना मानविय विकचादिकन विष 133 बरवारे सु० विद्युज्ञादिकरवाते । ३॥ वासु नरसादिक वास। इस हर हम तपर्वतादि वेला समुनावली । वै° वेदिका जंबूदीपना वास क्लोएओबाद रवा काय पायाला गिरगञ्ज । निश्या व लिया सुनिश्चासावाला मुका पनि दिमाग काय ता माहि विमारणावलियामा विमा पछाड तिरियामा पटाका डिएम लिम्॥ मिहिर । पझे।।सुविद जब इनारेबा एवरकारावास दर पावला या दो। रमीता शिण सुदामाबाद का प्रय रघुढ विकाश्या पगारापात्रा उवधारणाला सारख घइला सग्द्याला । यससाग सहलाया rasamia कदिालत बादरपुट विका या छत्रमा लाग जानवादरपुट विकाइयाछत्र गागांचा शाप छात्राएं चाणापत्र वाणासाला सघाए। |ात्रा||मानववादर उठविकाइया सालासाला साखागकादिगनात मढविकाइयाशप) छत्रछत्रगणयन्त्र गोखुङ्ग मझुट विकाश्या या छत्र गाडियपद्यत्रगातसचे नामानिर एग विहादीस साशा त्रासद्यालाया परिया वा गा।पाचा सम गावास ) का देगा सात बादरच्या वैमलाने घेणा काश्यागपत्र गाएं पत्रमा सन्नघाणाददा सुत्रधारण दधिवल एखादलेो ताक है। लग लवानियावल अधवाकाइया मायताम रानदेवताना कीवर इ सघले अप तिपल्लेवान थावलाश्वा कायप्रय आप Jain Educatio सरवलोडोए इमसमुधान सरायण ऊलवा34 क
SR No.650030
Book TitlePannavana Sutra
Original Sutra AuthorShyamacharya
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages558
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_pragyapana
File Size250 MB
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