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________________ पनवा जाइ सियावमा गियात्रा अतीता गीतापुरस्क आवमा साशन यह॥ बाणामेतराना ( सागियावा जावावमा णियम्मामा [णि यात्रा एवं सहाशादिपरहा। ए] [दिएसन रियानाचा जाव दंडगाला या द्वियसमुग्धाता जद) द्यावर ऊसाचतमनतिपय विद्यते ॥ मुग्छ तादामा र शांतिय सग्माता एवं राजस्ाचिणात विचवास चवीसादडगानापिय छा॥ एामगार माइयात्रा कवतिया आहारसमुग्धाता अतीता।।गायमा एक वतिया राशि एवं डावावमाणियात्रण वरंमतीत कस्स तित्रिकस्मति चिडि जस्त शिऊ देण दावाका सरांतिनिक वतिया घार रक डा।गा। कस्मति अविकसातिशाशिम २० यसमा सितापुद विकाशयाना माशा एरिया वा मूत्रदा नरश्या था) कम्मर कस्मन शिमिया से सिय मागियाऊ दाऊमा रिणव गाए उशरिया ए चासचवीसादडगा|| मारणं तियसम्घाता विमाणियसावमा लिया। वाम तचवीसा। कसायात तदा निराससा नागिटा ariara सामगाता गया। युगमा For Private & Personal Use Only library.org
SR No.650030
Book TitlePannavana Sutra
Original Sutra AuthorShyamacharya
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages558
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_pragyapana
File Size250 MB
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