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________________ Balo Educat राजाश्रयमाविरंगिदियविगलिंदिया विद्येति समासात जीवा कियाहारगाणादारगा गोडवा नियोगवादमा लिया। सालाना व किया हाराहार/गो) मिताहा।। सियाणा हा। एवं नरकायाश्वाणमतारण वरोडाइ सियावमा गियारा होत असतात डोवा किंश्राहारा हो गया दाराविाणादा गावियामा साग असणारांतातारश्या किच्या दारगा। ऋण होगा।[ग] आहारगाया। व्याहारगावा अहवहारयणादाय्य हवा याहार एय ऋणादारण्या हवा आहाराणादा वझेगा। एवडावद्ययक मोरागिदि "तिय लेगा। माणूस वारा) मतारख व संगणास श्राहारण। मिताहारराव मास सिद्ध आणा दारण, उदान्त्रणं । विदारगाति। मामख तिलागा। सिणदारगा। दास्सालाम गोलात जाव |यमा सियाहारए सियाम द्वार) एवंजावाद माणिपस लिसा गोलाती रण्याचाह संगत बिदिय माणसात जीव कि हा राय/एवं यात यविदियतिरिरका जालिए। | हाराहारएगा सिय असा जीवाचा हारेगा।। 120 हारग आहाराहारी गो international 301
SR No.650030
Book TitlePannavana Sutra
Original Sutra AuthorShyamacharya
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages558
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_pragyapana
File Size250 MB
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