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________________ amjigamaaासावा मम हस्ता का विसाए वाममदस्मा एवं सब सदस्सा नागि पनवणा यक्षाणाच्च हिमम गगन है तथा साए काच देवी साह हिमन वरिमाराचा गादीसाएका सिग पणतीसारमा छमाह हि मा पुगा जहा प मममधिमा मासा कासा नवीसा एमझिम दारमाचा) एक हावीसाए उदारमाद हिमाचागो दहावीसा एक्का सणा मममा गई । एती सावका वासा उवरिमजवरिमा दोतीसारावाका एकता सोपविजयावयता जयतापडिया ७॥ दात्रामा पाकाती साप सह दिवा हमास [तसा एवासमार निरइया) लोत किंए गिदिय सराराईयादा रति । जा वर्णविदियस राई अलावा बाग उद्यागिदियरा राइ होत जावप चिदिय 175 लावाव उच्च लयमा पनि दियस रारा याद्यारं तिपदेावणिक मारापुविकार याांगडा २३ उवासाय त्रावीसा सापउवा गाड www.library.org
SR No.650030
Book TitlePannavana Sutra
Original Sutra AuthorShyamacharya
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages558
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_pragyapana
File Size250 MB
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