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________________ राजावादति। [गा। गियमा। यह कम्मपगडीनादादेतियशनर इजाभावमाणि । ददात्राविति पत्रवणा वगाएगवती॥ विदारय एप सम/ सवित्रा दारक घतिकिदा विद्यााचवा कतिला गमावर परिणामाच दाबा द्या। एमिदिवस रादी (लामो हारत हम लरकी। यात सिंपदा वि लावण हा तिकायद्यारश्यालात किंसच। नादारा। अवि गणास विवादा राय चित्रा दाराणामासादा एवं मुरऊम) राजावावमाणियावरा लियासरी राजा वमप्रसास वित्रा दारा विचित्रादा राशिमासाहारा वि परश्यातदारही देता। गायदा रहा। सुप्पातिर श्यामा डवि दाQua तागण छत्रिय । लागवित्रिएय वामणसागणिद्यपि समय।। अमिर दिया दारासमुपाति वचणाडामा लागणि घत्रिषस झुणु समय अविराम हारा।। समुपपद्यति॥ समासागणित्रियासमा खद्यसमत्ति छातामुनि हारा समुप अतिरथागतात कि मादारमा हारिति ॥ गादाता पतिपाद सिता शेरखापादामागाट २४१० परश्या साता आदाशहस International ersonal Use Only gelibrary.org
SR No.650030
Book TitlePannavana Sutra
Original Sutra AuthorShyamacharya
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages558
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_pragyapana
File Size250 MB
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