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________________ दीपरखड वावशगोद्यकम्मबधपवान राजावावमाणि जीवासातरगाणा वरणद्यक में का विदिशा दिवेधति ॥ गादा दिखा दिएवाच । पाइय तराइये। एवंशात गतापद त्रिया | सालसदया। जीवांगला दितित्र्यमतिवदति। रइयां तरणा (मागावरमारामऊ दाजी वजावागलात मालिया एवं जाऐगावर शितिदादेस श्रावणामागाया। पांचवा वरं । माणास वि एवं दंसणावर नाव तितिागायगाव धरणिद्यकमाचादति॥गा नियमावादाता एवंडाव गावात छेकमेवादिति वाचवा एवावे पावर पिद्यामा तराइयच॥वयाणि पियमावादा [गतापादत्रिया। मालस दडगावातकम्मजीव बघस्सस्सन घा स्मसे चितस वियराजवा (पत्रम्सफल पत्र सादयस्वणकत्ताजी व णिचत्रियस्त जीवयरिणामिय स्म। सो वाउद्दिन स्पा रावाचदा रियर 175 लग्गा दान दारिद्य मा एस्तगतिपथ्य। हिश्णलदेव णायाय लेपायापायल परिणामे पण कति विदितवियत्र गाणावर शासन चिया बाग gorary.org
SR No.650030
Book TitlePannavana Sutra
Original Sutra AuthorShyamacharya
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages558
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_pragyapana
File Size250 MB
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