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पाकवश्याद विदिया गया या वाघा कश्या पुरस्कडा हवा से पत्रवण सवा मन्त्ररसता सरावाद्याचा मस्तगतात मुरक मारमा | कवइया दक्षि दिया प्रतीता बादलगाक वश्याक डावानियता सारख द्यावा असते : यारानावना शिविकाया काश्या वा सम तेचा एक तर एकं फासे दिया दात व काश्यामाकाश्यप वि मदमवापदान दिया विरावर बाघलगावापदामिवामशंदेय विनिवरात्राचिदियति रिकाड
द्यावा) चाता विवराक नवर
स्म विवादलाचापर्ववरिदियस्प
यमणमा वागमतराजातिसिया ।सादमीसाग दिवस जाऊमा रसान वरमास साक डाक किस्मशा शिवा। न वा सारख द्यावा व तावासमा रामा हिंदबे तलतगवसदस्साए
यादवस्मयदानरश्यसाथ।।
मस्तीत विजया जयायतप। जयदेव स्ताक वश्यादविदिया अतीत ता) १६४
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