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________________ पत्रवण रोमति दशनागी कायाजागी साराय रिणामि। अलिपिबा दिया विविणारा शिवगाम विद्युत माग विदितगए। मग शाम सम्मद्दिद्याविमिच्छदिदी विंग सम्मामिदिaaaaa चार दिवरेदियपरिय हा काय द्या! पविदियति । रेरकडे शिगतिय रिशा। मरां] तिरियगती या सस दासा र ३ या वराल सा परिणामावनु कले सावि चरित्रयरिरमा माघारत्राचार चाविचरित्रावरिया विदरामयइि दगा विरसावद्गादिशासगाव दग|| इदिय परिणामपबिंदिया दिया शिक सायी विलस्सापरिणाम)। कष्टालस्था विद्याथ चलता विनय शाम मांगी विजाव श्रागमिवगमरिया (मोड) र थापा परिणाम यानि विढिया दिव कमला विचमा परिणाम तिशी विसरमा पासपरिणामशा तिषित दसरा चरित्रपरिश मचरियादिव्यवास्ता विचरित्राची विवदपरिणाम। विविदगा विषुरिसाव दगा चिनपुंस १५३ विlay समतिपरिणाम) मा यगतिया सायपरिणामकारक साथ। वाक्क International Private & Personal Use Only ibrary.org.
SR No.650030
Book TitlePannavana Sutra
Original Sutra AuthorShyamacharya
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages558
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_pragyapana
File Size250 MB
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