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________________ पात्रगाधिपात्रात सागरागणमा पत्र व सातक विधिपापं नितिगाबाद राममवापरिणाामाकच लगाएपरिणाम रामरिणामाबगाएपरिणाम) परिमाणशा मन दिणाणाम्।। मरिणामात कतिविधग तिविधिमा मरिणामत्रयपरिणाम विसंग यारा समपरिणाम मदंसणपरिणाम मित्रादसा रिएमा सम्मा तिकतिविदयात्रा [गा। पंचविणात्रातंसा त्रयपरिणामापरिहारविशुद्वियचरित्रपरिणाम Jain Educ कृतिविगतिविधिया मिचादसा परिणामाचरित्रपरिणामां माझ्यचरित्र परिणाम | दिवालियवरि सुमसपाटाच रितपरिणाम दरकायचा परिणामावर मात कतिविधिय गतिविmिali|शिवदपरिणाामा रिसाव दपरिणामणांसगावदपरिणाम / गान र५ यागतिए रिणाम निरयगती याईदिय परिणाम। पविंदियाक साय परिणाम)। काद कसाई विना वाला तक साईवालसापरिणाम सांग कालमा विनालालसा शिकांडाला विजागरणा मरंगामागाविव १५२ Internat
SR No.650030
Book TitlePannavana Sutra
Original Sutra AuthorShyamacharya
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages558
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_pragyapana
File Size250 MB
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