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________________ वह वह लागि विकनादेवतासंव्यात गुणा संध्यानगुणा विमानवर्तिमा 17 11 देवलोक ना देवता संख्यात गुणा अधिक बात थी। प्रारणारण देवलोक्नाद्विना संष्यात गुणा। यद्यपिप्रा प्रकल्प देवलोक समझे समविमान संध्याबधामि यहा तेहाहा वाघा घणा कृदिसि ऊपर उत्तरदि सिनहा वाघला पालपातिमाटि ॥ चुकल्पना येा प्राकल् नेविषादेव संष्यात गुरमा १० मत विमाननारी ॥ ३२ गारवासारव [इठिमागावा दिवासारवण एकाण (दवारी विद्या। आशा क 30 प्यादवासारखा एकपाद्वारा एक प्यार वास रहा। आदसत्रमा व साख हारा कासारख राणा दाखा काप्य दवा असे ६ पालित० काप्पा खसी बालाएको दिवासा प्रणामादिदिक (पा नवगुण झा सं एसबीएम) मायामयलापुट वाणणारया अमेरि एकपलाएटवावा असे विद्य तचापवालयप्पसार यासारख सांग कुमारिकापदिवा असर (दाच्चापस करपलाप मम्मी मावा ईसा एका दिवा सारख राणा ईसा कापावीनसारखा गोमासादाम्मा काष्णशदनासारखंड साहाम्म) काप्पादेवी उसे रिवालवणचासी दवा अस वालवण वा। सैणी (दवीय सारव गुणाइमा सावा/मर३यासाद्य da beary.org
SR No.650030
Book TitlePannavana Sutra
Original Sutra AuthorShyamacharya
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages558
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_pragyapana
File Size250 MB
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