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________________ प्राय याता० प्रायुपालय देवता कि उत्तर मगध्दे मनाउपनाम गधक हायातिमा गतप्राणनाद व लोकना उपनादिवताानना लतादव ताकही। उर डिडवालच्या सायादवापात्रा गाय ama यादवा पश्विमं तिमि दिद्दियामा समात असा विमावास सजा व विद्वता यादवा या रस व दासकमाएका विमासम यादीसाए सामायिसादसा सीताए । कासवासिचवडा वविदति।कदिया। maiसगास वरयणा मया पलाशानि मुशिला Redke दिवाद्यतारांगणक सायकस परिकंस एडिदिसि आशायादिना परिवसतिगा। आशयप पराया में कप्पा प माया नदीदा दिविधि। दसवासेविया विमाला सामरा सिवाणा ता सावधानाना यांग काडाका मायामचिरकालगायका माकामी उपरि एका महरयाणा मया वा माला। घड़ा। महानार या निम्मला लिप्यं काशिक कमायास) (प्ता । सस्तिया समद्या या। एसोइया । दरिणिद्या अतिवापडिया पर Fat Private & Personal Use Only
SR No.650030
Book TitlePannavana Sutra
Original Sutra AuthorShyamacharya
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages558
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_pragyapana
File Size250 MB
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