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________________ उले धांगु लइमनुष्यर० गुलवत कर१२० श्रीगुलता थोरे विषश्मः स्त कि गुलक देशवा ५ चाउरेस ३ उवरस विन्यात जा ऊसकलान यौवनगमनप्रति यौवनीव दानदेवा ग्रामकार पर शिक्षण विध जलय रणितमात्र बुद्विप रिया कमावते स्वातन्यक र विषादविष वविनिकांत व उरंगसैन्य खादियपरिस्याय मित्र । जोहम्यतामारावी र वित्त्रिकात विलियम वि रूपवैसरा दिकवा चिऊंदिसिविदिमिनी चर्च वर्ति राज्य तिराजान उधणी राजा जिनतीर्थंकर ॥ चधवा पति लेोक्य | हन टेलर खुलवा हर चारं तचकवही रघवती राया तोवरम जिए। वास्त लोक गाय स्वामी चक्रवर्त्तिनारि तिणिका होदेवानुप्रिय तिज्ञशलाइ विषश्वरप्रधान व वर्ति ऊमर रणिउदारत अस ननायक सुहिरणा धम्मवर चक्कवही हातिउराला दिवाणु पिया । ति सलाए रख लिया एपीएम मिय्या दिया जांलगइनी रोग रोग संतोषना करणार ॥ धरणाचा ऊषा ना कल्याणकारक मंगलना करणाहार" "वधारणहार पुरितिपशम हो देवानुषियोराज ॥ जिघाउ श्रदेो देवानुप्रिया दिहा । जावा [रा गाउ हिंदी दाॐ कल्ला गमे गल्ल कारगार दिवारण प्पिया तिस तिशला ष्प बियाणी मुहरगादिवा तिवारपढाइ ते सिद्दार घराया तियास्वन लक्ष्यण पाठका लाख त्रियाणी एमुमिरण दिनतियां (समिरायात सिं सुतिरपल रक्रण नशा कन्वर्थः॥ मुदितमाममा विदा घजो जल पातमस्य प्रतिययमसा धारावा सम्पर्कका करगडाचे in S 19 ३०
SR No.650029
Book TitleKalpa Sutra
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
Author
PublisherNagor
Publication Year1677
Total Pages234
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_kalpsutra
File Size100 MB
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