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________________ MAU नवरा बेजे हाथ जोड़ी जालगइ सामस्तपणा अजानचुन मलइ सोसलीन । सिधार वियक सामान प जाव दिसाया। करग्रल साध्य डिममा लिपता सियाम व नियमाचे नियम पडि कलान खविय कम ग्राम नगर माहे माहे डिणिधान कि निश्वश्वप्न लवण पावकात एक मंतिशिला रख लियं ऊं डग्गामं एागरंमशमशेरगोजे (एण वसु विरलरकरण पाठगा तिनकाव करीनर स्वप्न लक्ष्यरण पाठक ने डाव तिवारइख प्रलम्पर | रंग हा इतर वडवागचं त्रिश्ता । सुविशाल रकमम्पाट (सद्दार्घे तितियां तं सुवि यातक मिारय वियना आदेस काय पुरषे ते की या काहि यमादेरया साता एल रक पाढगामि६ छस्मरख त्रियम्सको डुंबिय पुरिएस दि । सद्दाविया समारणादिव देवरादिका पाड श्री जल गई तह लान "स्नानन की प बलिकर्म कर काया को कम गलमांगल्य सामाना नक दयाकी युवती आपणा ग्रह दवताना पूजा जिप व्यस्पक रिवाजोग्य प्रायवित्रस्वभविघातर इकाजि घरब ६६ JOLK कोकमा तिलका भवदिका मंगल सिवाय चक्षुादाष परिहरि वाणी जीए॥१९॥ सुजाव हिस्ट्रयांक यबल कम्मा कर्य को अ य मंगल पाय च्छित्ता। सुप्पाव विकाधी वस्त्रलग ना करेणहारह प्रवेशोचिताया महव आतरणा करा लेलषितारा सिधार्धपीला देह जिल" मावर वस्त्र प्रवर राजसत्ता पर दस्वाजिए रथामा अमूल्य रदेह जीयान ब‍ मरसवकीय साईमं गल्ला व वाईपवराई परिहिया । श्रप्पम दग्घा तरणा लंकियसरी रासिद्दय अवस्य करि वायोग्
SR No.650029
Book TitleKalpa Sutra
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
Author
PublisherNagor
Publication Year1677
Total Pages234
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_kalpsutra
File Size100 MB
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