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________________ सुषकारी अधवा मुषश्रघता ष्पत्रियनइ तेहवाइ इष्टवाणी जाल गइमा कुप्रकारिबोल श्मनिअ होती" मुलमुलमाहे वर प्रधानति तीरइम कहती हुई हा मरण वरर्गयो। मिघळख त्रियंता हिं। [६] हिं। जावंसं लवमाली श्ववयासी ॥ ॐ अहोस्वामी श्रज तिमि तेवई ॥ बायनी दरमाहे कोई सूती कोइ जागती ताल गइ जान गइजागी त जिमदी 548 वं खलु मामी तं सिता रिसगंसिंमय गिां सिं सुचंता व जावप डि बुधा स्वाति म कह गयइत्यादिगाहकही अहो मी उदारन चचदह माहामोटा सो हिरणानउ किसान तंज हा गयगा रहा। तय सिमा मीनरालाएं चित्र हसणं महासु मिरगाणं के तिशिकार मिश्यानउ कल्याणकरी फलन निउ विशेषजम्पइतेकदा तिवारी सिदार्थ ष्यत्रिय राजा विशला मरमकल्ला फल विशिवि से रस स विस्म । तय्यां एवं सिधाळ राया तिर श्रावणी महजम तिन ष्पत्रीयारणी कन्ना एव वर्धमा जली ही यई धरी नइहरम्प व संतोष वंत चित्र उ श्रानंदम प्रीत सरिता प्रविदर्शिन द्वित मनीयाविन्मानपूर्व सलाख त्रियाला ए। अंति एएम सोचा सिदचिशा या गिं दिया ? नावातीतानागत प्रष्ट सलामत तावदर्षनेइवसइकल सत व विस्तार पामत हीयन येन मेदनी धारा इक आदर्श वस्तु न कहणदार ५२ इस पर समद्रिसा विमा सम्म दिसाधाराणीवसुर ESPASIALA TO and Bgale
SR No.650029
Book TitleKalpa Sutra
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
Author
PublisherNagor
Publication Year1677
Total Pages234
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_kalpsutra
File Size100 MB
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