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समरी
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गमायमानमधु निलायमानधानांत रथ देश करवादः गुड नशदविसे देश नागर विमइइसीमाला x दार
सलाइ दमादेष के
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मघवा प्रमाणपष्प विज परतिशनिमति मष्ट आसार तलब तिणसमान राजहंसना परिपटु प्रकटधवल ताराना मुषन मंमन अंधकार मदनका तेहन प उपमा हनइब" वर्ण (यह नई योतिषीय गणनाच सोलान उकरणदार रिपुवारी मतदना प्ररणहार राग घरदारले पायें
ढना से पूरा किला सहित परिमहंदपात लाव मा सप डुवाइ समुह मंड गंगोतम रिपुं । मय इम २ ॥ वाटुला समुनापारी न पूरकच जनलोक दयतावरिं नियान पादक सोष बताया िवलीसोम्यमनोहर शाधकी स्वेतवर्णपणाघमा धकइ समुदवेलिमूकडू जितस्त्री रहित किरणेकरी करेगी
कधी चारी सानीमा
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रापूरं स लांधकारत उता देषलादिसिर विषयक
वृति परिस्फुटम
इवार्थ जाणं
मुध्दगझरया कुममाणे अगदत्तश्वव याग हिं सोममता पुष्णा सामचारू रूप ब
म आइजिपि हाती घ कतारहित पसा दो ने मकवा