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________________ जागती लिगार शनि प्राश्रावनी एड एप वेतन योग्य कल्याणकारक निरूपश्वधन मांगल्यका श्रोताश्रमवा चादहमहा नाकारक रक श्री मीनाकारक मोय टामुहि उहारमागी२इमेयासावरोले कल्ला रामादधाम मंगलम सिस्मराए वोह सम हा मु रण बिसला नाम ष्षत्रियाणी राणी यइंदरचा लियादेषी करी जागा तेजिम वदा गतिम जातादी गगजइम जिलिरात्रि ईजि अनुक्रमि" श्वेतगाथा" रविष W मिरएतिसला रख लियागीए हाडपा सिनाएं | पडिबुतिज हा गयव संगाहा जग्य मोना श्रमण लगवन श्री महावीर देवानंदा ब्राह्मणीनेहनउ, जालंधरगोजते हनी ऋषि होती विशला बली रहर्षि पंचां समर लगवं महावीरे दिवाणं दायमा हणी जालंधर स्मरणात्रा बीउ तिमः पादन] वारिमात्र तेहनी कूषिरश विषगर्भपण संक्रमाच्या तिर रवि रवि शा लाख त्रियाणाय बास हिरंगाशाए ॐ छिं सिंग शताए । साहरिए। तस्य वसतिस पायारणा राणा तिरिइ कहि वार्वषाणिवा वासतव नायना महिला सीति नईसा अनेक चित्रक बाहिरीएपास अशा अति हरर‍ विष‍ गिमादलश्यास चिधामसहित बाहिरली तीन विश षइवला लाख त्त्रियाणगीतं मितारिस गति । नास घरं निंतर तो स विज्ञकम्मे । बाहिरत।। मी करी] सुकमाल आचर्य उलचतंडू विविचित्र श्रीसाग कापादिक निणिकरी गमा माघ विहां मारी मा मितवलित गाधमी करो मतिराइ सहित] जिगर विषइबर कर्केतनादिक रमाकारसर्व व्यवतपणाती चीनीची मकान महाकवि में सिविनले विनिता मणिरंग सिधयानसम सुवि कमल eas नपणा होती, पुण्यवंत नयाग्पते दवश" statute
SR No.650029
Book TitleKalpa Sutra
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
Author
PublisherNagor
Publication Year1677
Total Pages234
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_kalpsutra
File Size100 MB
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