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________________ श्रमण नगवंत श्रीमहावीर जिगघा निश्व विज्ञाय ॐमग्राम नग नक इ महावीर करतल संपुटकरी लाइलेन *हाबाद हा दावा करतयत्ल मं पुडे यांग एटा। समय नगवं महावीरजेोवख त्रियंऊंडग्गाम बाह दिखां रजिरीगमान कि निश्वसि पत्रियते दनउ घर जिलियान के निश्वर तिमलाना माध्य विया रणारा तिरंगधा न कि निश्वया व पहावी. गयारा जेणेव मि६ळ स्म खत्तिय स्म गिजेोवतिमलाएर खत्रियाणी एतेणेव उवा: सुन उजल ईतिहां श्रावीक जिस लामामाझ त्रिया शाराणी न आवरणापरिवारसहित नवस्वापिनी चई देईनई मलमूत्रादिका पुतल गनश्नातिस लाख त्रियाणी एम परिजगाएं । उ (साव दिल इश्ता असु दे योग असुन अपहरअप सुनतला पुलघातदिह माहेश्रुतपु अनुशा नईसगवनई इस कहा करी श्रमण नग लेवहरित्र सुनियो गााल परिववशताशे समत ★ सिगझत्रा पुत्रषयेगविली देवा बियाणी शीत रंग मो तर नंदा एसादरम्शज महावीरं श्रद्यावाद । श्रज्ञा बारहगां । तिस लाएखति यारणी एगझे ते पियर दिवा दियस तिम त श्रीमहावीर आबाधापीडारहत तिसलानईपी डारहत सातिमला नई पीडार हत मानिसला ब्राह्मणा तेन जालंधर गोच नेहमी कृषिरविषई मपि संक्रमावमंक करीजिए दिसि. लाएखत्रिया दायरामा हमीपजालंधर को नापाक चिंसिग जाए सा हर निश्शा। ज्ञामवदि लाशे ㄟˊ नामा Aida SANA 93
SR No.650029
Book TitleKalpa Sutra
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
Author
PublisherNagor
Publication Year1677
Total Pages234
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_kalpsutra
File Size100 MB
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