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________________ विनाशक मूरतादिक नारा लाव४८ वर्षांवासिर ह्या साधुवा अनस् सामा० २३० साधु ४५. वाब प्रधान चायति श्रापद्य वार्यं जाएं ति वासावा संपाद्यास दिए लिस्कूलिका अनयरि वेदन करावद तिमा गुरुत्वादिकनी वर्षाचा सिर ह्यान तिरधि अद्वित्रएं तांचा वासावा संपाद्यास लिए लिख ने दार कल्याणकारी ज्यान मंगलीक सोलाका महाराागिवंत इािन्नरे उराले कहनाएं सिद्धं धनं मंगल् सति रामदासाचं तपकर्म अंगिकार करी विचरिवउ तिमनगुरुवादिकन आप वर्षावासिरह्या लावा कम अवसंपछि त्राएं चिहरित्रएं तावयस लोलावं पण वासावा मे पाया बिदिली मरणांत मरण संबंधिनी संलेना वारी वारीरनो सात मांगी कायनोटा लियो सव बड़े मुकिवी सचिए लिस्कू विद्या मग बिमार ऐतिला पञ्चपाइ पादयोग मन मरवानी काल समय वादिचरव पडिरिक पाउ नगएका ने एक समाए विवि 100 साधुवां संधा इसिएसन पाए ग्टहान घरिनी बलि वावा एका में निस्क मित्रारब * गाहा वश्क्कलं 312/91.023 STREA 0 शरीरकघाया दिक शकर देन उसे द से बजे 990
SR No.650029
Book TitleKalpa Sutra
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
Author
PublisherNagor
Publication Year1677
Total Pages234
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_kalpsutra
File Size100 MB
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